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श्री कृष्ण जन्माष्टमी

प्रतियोगिता हेतु रचना 
श्री कृष्ण जन्माष्टमी
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भादौं के बदरा छाई गए,कान्हा जी घर -घर आई गए।
बाजन लागी शहनाई हैं घर-घर में खुशियां छाई हैं।।
डोल, नगाड़े बाजति हैं खुशी से जन-जन नाचति हैं।
घनघोर घटाएं छाई हैं बारिश भी जोर की लाई हैं।।
वसुदेव जेल से निकसे हैं यमुना मइया हर्षाई हैं।
कान्हा के चरनन छूबे का यमुना मइया उफनाई हैं।।
नाग वासुकी आई गए फन आपन फैला दीन्हेंनन।
कान्हा ऊपर तानेन छतरी बारिश से ऊन्हैं बचा लीन्हेंनन।।
यमुना की आतुरता का देखि कान्हा चरण लटकाई दिहेंन
चरनन छुइ यमुना शान्त भईं सब देव पुष्प बरसाई दिहेन।
वसुदेव पहुंचि कै गोकुल मा कान्हा हुआं लिटाय दिहिन।
माया का हुआं ते लई आए मथुरा की जेल पहुंचाय दिहिन
माया जब जोर से रोय उठी तब कंश दौड़ि कै आई गए।
माया का उठा धरा पटकिन फिर कंश खुबै हर्षाई गए।।
आकाश से आई वाणी तब हे कंश ना अब तुम हर्षाओ।
अब अन्त समय आया तेरा प्राणों से मोह ना दिखलाओ।।
योगेश्वर धरा पर आ चुके हैं तेरा वध अब निश्चित होगा।
जब भी तुम मारे जाओगे सब मृत्यु लोक हर्षित होगा।।
विद्या शंकर अवस्थी पथिक कानपुर

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4 Comments

Gunjan Kamal

09-Sep-2023 03:31 PM

👏👌

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सुन्दर सृजन

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Reena yadav

06-Sep-2023 09:06 PM

👍👍

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